[ Featuring Karun, ]
नही खुश तू, कैसे में खुश रहूं
रंग सारे काले दिखे किसको यह कहूँ
ज़िंदगी है सूत रही
में कोई महबूब नही
झीलो पे में चालू पर
शिकवा ना दिखे कही
मानो या ना मानो
मेरी हस्ती अब डूब रही
कश्ती संभालू या गिर के खुद को उठा लू
तेरे गमो को सुलझा डून ऐसा सीखू कोई जादू फिर बना दू सब आला
चुप जैसे कोई साधु, लेख गादू फिर भी राज़ हूँ या या
सीधा साधा आदमी में
जीता जागता राज़ भी में
ज़हुमू इस सादगी मे
घूम फिर के फिर वापिस
खुशियों को हाफ़िज़
सूरज आता है(सूरज आता है)
ले कल आता है
मुस्कुराऊ या नही
मन चिल्लाता है(मन चिल्लाता है)
पर सन्नाटा है
में गाउ या नही
में गाउ नही
अब में गाउ या नही
खाली रास्तों पे खेल पर मुझे नही दिख रहे वो
मेरे रोगों को झेल, फकीरी मेरे जिगरे को
कसूर को बहा दू इश्स कला में
फिर सबूत पेश भारी सी सभा में
डूबा हुआ नासमझी में, बातें करू समझी हुई
रू ब रू ना ज़िंदगी से बोलू सारी सच्ची सुई
लगे जब उनको वो भड़के अजब से
गज़ब चेहरे आगे भरे हुए जब वो खपपते
वो बोले तो में मौन, मुझसे पूछे तू है कोन
में खुल्ली किताब पन्ने मेरे बेहिसाब
में खुल्ली किताब पन्ने मेरे बेहिसाब
में खुल्ली किताब
यह शायर की ज़ुबानी है
यह धुन कोई पुरानी है
प्यार में डूबे आशिक़ की यह सची कहानी है
जब ज़िंदगी सुहानी थी, पास ना मेरे रानी थी
दूर था प्यार ज़रा सा, किस्मत मेरी सयानी थी
तुझे खो दू में खुश हूँ
तू रो दे, में चुप हूँ
तू बोले, में सुन लू
तू चल दे ना रोकून
तू ओझल, है सुख क्यू
तू ओझल, में खुश क्यू
सूरज आता है
ले कल आता है
मुस्कुराऊ या नही
मन चिल्लाता है (मन चिल्लाता है)
पर सन्नाटा है (पर सन्नाटा है)
में गाउ या नही
अब में गाउ नही
अब में गाउ या नही