[ Featuring Uma Shankar ]
इंसान क्या
इंसान क्या जो ठोकरे नसीब की ना सह सके
इंसान क्या, इंसान क्या
इंसान क्या जो गर्दिशो के बीच खुश ना रह सके
इंसान क्या जो गर्दिशो के बीच खुश ना रह सके
इंसान क्या
इंसान क्या जो ठोकरे नसीब की ना सह सके
इंसान क्या
मैं किश्ती क्यूँ ना छोड़ दूं बलाओ के मुक़ाबिले
तूफ़ानो के मुक़ाबिले
मैं किश्ती क्यूँ ना छोड़ दूं बलाओ के मुक़ाबिले
तूफ़ानो के मुक़ाबिले
वो किश्ती क्या
वो किश्ती क्या जो आँधियो के साए मे ना रह सके
वो किश्ती क्या जो आँधियो के साए मे ना रह सके
इंसान क्या
इंसान क्या जो ठोकरे नसीब की ना सह सके (इंसान क्या जो ठोकरे नसीब की ना सह सके)
इंसान क्या (इंसान क्या)
बच बच के चलने वाले की है ज़िंदगी क्या ज़िंदगी
है ज़िंदगी क्या ज़िंदगी (है ज़िंदगी क्या ज़िंदगी)
बच बच के चलने वाले की है ज़िंदगी क्या ज़िंदगी
है ज़िंदगी क्या ज़िंदगी (है ज़िंदगी क्या ज़िंदगी)
दरिया-ए-ज़िंदगी मे जो ना मौज बन के बह सके
दरिया-ए-ज़िंदगी मे जो ना मौज बन के बह सके
ना मौज बन के बह सके (ना मौज बन के बह सके)
ना मौज बन के बह सके (ना मौज बन के बह सके)
ना मौज बन के बह सके (ना मौज बन के बह सके)
ना मौज बन के बह सके (ना मौज बन के बह सके)
दरिया-ए-ज़िंदगी मे जो (दरिया-ए-ज़िंदगी मे जो )
ना मौज बन के बह सके (ना मौज बन के बह सके)
दरिया-ए-ज़िंदगी मे जो (दरिया-ए-ज़िंदगी मे जो )
ना मौज बन के बह सके (ना मौज बन के बह सके)
इंसान क्या
इंसान क्या जो ठोकरे नसीब की ना सह सके
इंसान क्या