बारिश गिरि छत्त पे
बैठी मैं झूले में
मैं हूँ यहाँ कहाँ
तुम हो कहीं और ही
देखते क्या हुआ
मेरा दिल दीवाना
सारे यूँ क्यूँ हुए
थम गए आवारा
बरसा बादल
बरसे रंग भी
टूटे तारे
झिलमिल झिलमिल
बर्खा छाई
बरसा अम्बर
फूल खिले
छीप गए हम तुम
नाना नाना नाना नाना नाना नाना नाना
तुम और हम
तुम और हम आ
तुम हो
मैं हूँ
साथ में हो चाय पकोड़े
आहाहा तुम हो
मैं हूँ साथ में हो चाय पकोड़े
देखो बूंदे
कैसे नाचे
हमको ऐसे
क्या मैं कहूं
दूर हो कितने
खिड़की पे
तुमसा नहीं
हमहह पडोसी