हम्म्म्म पल कैसा पल पल में जाए फिसल
चाह के भी पकड़ पाऊं ना
पल कैसा पल पल में जाए फिसल
चाह के भी पकड़ पाऊं ना
मिलके जुदा हो ना पायेगा दिल
दिल को मैं समझ पाऊं ना
हम्म ख्वाहिश है इतनी सी यार
देर तक रुकना अबकी बार
प्यार के लम्हे हों हज़ार
उन्ही में सदियाँ जी लूँगा मैं
ओह पल कैसा पल पल में जाए फिसल
चाह के भी पकड़ पाऊं ना
मिलके जुदा हो ना पायेगा दिल
दिल को मैं समझ पाऊं ना
समझ पाऊं ना
समझ पाऊं ना
मटमैले पानियों में अक्स तेरा दिखता है
बारिश की बूंदा बुंदी में पन्ने धुंधले लिखता है
जो होना है हो जाने दो तारों को सो जाने दो
साँसों को खो जाने दो ना
अब तेरे बिन मेरा
ज़िक्र ही गुम जाएगा
इस पल को कास के थाम लूँ हथेली से फिर निकल जाए ना
ओह पल कैसा पल पल में जाए फिसल
चाह के भी पकड़ पाऊं ना
मिलके जुदा हो ना पायेगा दिल
दिल को मैं समझ पाऊं ना
समझ पाऊं ना
समझ पाऊं ना
च्छुपता सूरज या बादल
मनचला होने पागल
तुझको पुकारे हर पल या
पत्तों पे बूंदे जैसे
सुबहा को ढूँढे जैसे
ढूंढू हर पल मैं तुझको यार
अब खुदा मिले ना मिले
ख़ुदाया तुझको माना है
इश्क़ के आयेज है झुका
आज ये पल भी दीवाना है
ओह... पल कैसा पल
पल में जाए फिसल
चाह के भी पकड़ पऔन ना
मिलके जुड़ा हो ना पाएगा दिल
दिल को मैं समझ पऔन ना
समझ पाऊं ना
समझ पाऊं ना
समझ पाऊं ना
समझ पाऊं ना