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Khoj - Katputli Lyrics



Khoj - Katputli Lyrics
Official




ज़ालिम सी ये ज़िन्दगी
लकीरों से क्यों है बँधी
जाने किस फ़िराक
में जूंझते हैं सभी
लम्बी सी इन कतारों में
कैदी है हम सभी
बेरहम से इन हाथों की
कटपुतली है ज़िन्दगी

ज़ालिम सी सर पे खड़ी
बेदर्द सी है ये घडी
काटों के इशारों की
मोहताज है ये ज़िन्दगी
माया के इस जाल के
कैदी हैं हम सभी
इन दलदलों में यूँ
घुट रही ज़िन्दगी
कहाँ चली गयी ये ज़िन्दगी
कहाँ चली गयी ये ज़िन्दगी
कहाँ चली गयी ये ज़िन्दगी
कहाँ चली गयी ये ज़िन्दगी
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ज़ालिम सी ये ज़िन्दगी
लकीरों से क्यों है बँधी
जाने किस फ़िराक
में जूंझते हैं सभी
लम्बी सी इन कतारों में
कैदी है हम सभी
बेरहम से इन हाथों की
कटपुतली है ज़िन्दगी

ज़ालिम सी सर पे खड़ी
बेदर्द सी है ये घडी
काटों के इशारों की
मोहताज है ये ज़िन्दगी
माया के इस जाल के
कैदी हैं हम सभी
इन दलदलों में यूँ
घुट रही ज़िन्दगी
कहाँ चली गयी ये ज़िन्दगी
कहाँ चली गयी ये ज़िन्दगी
कहाँ चली गयी ये ज़िन्दगी
कहाँ चली गयी ये ज़िन्दगी
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Writer: Punit Vinod Garg
Copyright: Lyrics © O/B/O DistroKid

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Khoj - Katputli Video
(Show video at the top of the page)


Performed By: Khoj
Length: 2:58
Written by: Punit Vinod Garg
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